ऐनोड की खोज-
गोल्डस्टीन ने सन् 1886 में विसर्जन नलिका में छिद्र युक्त कैथोड का प्रयोग कर यह दिखाया कि नलिका में एक-दूसरे प्रकार की किरणें भी उपस्थित रहती हैं जो कैथोड के छेदों से पार निकल जाती हैं और धन आवेश युक्त होती हैं। ये किरणें ऐनोड से कैथोड की ओर चलती हैं। इनको धन किरणें अथवा ऐनोड किरणें अथवा कैनाल किरणें कहते हैं |
विसर्जन नलिका में प्राप्त धन किरणों के अध्ययन से यह सिद्ध होता है कि परमाणु में धन आवेश युक्त कण होते हैं, परन्तु इलेक्ट्रॉन की भाँति ये कण सदैव समान नहीं होते हैं। इनका भार नली में ली गयी गैस के परमाणु भार के बराबर होता है।
इस सबसे हल्के धन आवेश युक्त कण को रदरफोर्ड ने प्रोटॉन (proton) कहा।
एनोड किरणो की विशेषताएं :-
- एनोड किरणें धनावेशित कणो से मिलकर बनी होती है। अर्थात धनावेशित कणो की धारा होती है क्योकि जब इन्हे विधुत क्षेत्र में प्रवाहित किया जाता है तो ये ऋणावेशित इलेक्ट्रान की ओर मुड जाती है।
- एनोड किरणे सीधी रेखा मे चलती है लेकिन इनकी गति कैथोड किरणो से कम होती है।
- एनोड किरणें भी पदार्थ के कणो से मिलकर बनी होती है जिनका द्रव्यमान एवं गति होती है लेकिन इनका द्रव्यमान कैथोड किरणो के कणो से अधिक होता है।
- एनोड किरणें मे भी गैस को आयनित करने की क्षमता होती है लेकिन इनकी आयनन क्षमता कैथोड किरणो से अधिक होती है।
- एनोड किरणें में भी फोटोग्राफी प्लेट को प्रभावित करती है।
- ऐनोड किरणें में भी धातु की पन्नी भेदने की क्षमता होती हैं लेकिन इनकी भेदन क्षमता कम होती है।
- एनोड किरणो का विशिष्ट आवेश स्थिरांक नही होता है अर्थात इसका मान विसर्जन नलिका मे ली गई गैस पर निर्भर करता है क्योकि सभी गैसो के धनायन समान नहीं होते।
कैथोड किरणो एंव एनोड किरणो में अंतर –
कैथोड किरणे | ऐनोड किरणे |
कैथोड किरणे ऋणावेशित कणो से बनी होती है | | ऐनोड किरणे धन-आवेशित कणो से बनी होती है | |
कैथोड किरणे तीब्र गति से चलती है | | ऐनोड किरणे धीमी गति से चलती है | |
इनकी भेदन क्षमता अधिक होती है। | इनकी भेदन क्षमता कम होती है। |
कैथोड किरणो के कणो का द्रव्यमान कम होता है। | ऐनोड किरणो के कणो का द्रव्यमान अधिक होता है। |
कैथोड किरणो की गैस को आयनित करने की क्षमता कम होती है। | ऐनोड किरणो की गैस को आयनित करने की क्षमता अधिक होती है। |
कैथोड किरणो का विशिष्ट आवेश एक स्थिंराक होता है। जिसका मान विसर्जन नलिका मे ली गई गैस पर निर्भर नही करता।
कैथोड किरणो की खोज विलियम कुक्स द्वारा की गई। |
ऐनोड किरणो का विशिष्ट आवेश स्थिराक नही होता है। क्योकि इसका मान विसर्जन नलिका में ली गई गैस पर निर्भर करता है।
ऐनोड किरणो की खोज गोल्डस्टीन द्वारा की गई। |
Do You Know ?
प्रतिदीप्ति (Fluorescence) पदार्थ का वह गुण है जिसके कारण पदार्थ, अन्य स्रोतों से निकले विकिरण को अवशोषित कर तत्काल ही उत्सर्जित कर देता है।
विशिष्ट आवेश – किसी कण के आवेश एवं द्रव्यमान का अनुपात उसका विशिष्ट आवेश कहलाता है इसे e/m के अनुपात से भी जाना जाता है |
इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन एवं न्यूट्रॉन की खोज-
इलेक्ट्रॉन की खोज-
परमाणु का ऋण आवेशित कण जो नाभिक के चारो ओर चक्कर लगाता है इलेक्ट्रॉन कहलाता है |
- इलेक्ट्रॉन की खोज 1897 में J. Thomson द्वारा की गई लेकिन इलेक्ट्रॉन शब्द स्टोनी के द्वारा दिया गया |
- इलेक्ट्रॉन की खोज के लिए कैथोड किरणों का विश्लेषण किया गया |
- इलेक्ट्रॉन को बीटा (β) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है इलेक्ट्रॉन β कण के समान या समतुल्य होता है |
- इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान 0 or 000549 amu or 9.1 x 10-28g or 9.1 x 10-31kg होता है |
[1 amu = 1.66 x 10-24 g]
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 0.000549 amu
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान = 0.000549 x 1.66 x 10-24 g = 9.1 x 10-28 g
- 1 इलेक्ट्रॉन पर -1 या –8 x 10-10 esu or – 1.602 x 10-19 C कूलाम आवेश होता है
- इलेक्ट्रॉन पर आपेक्षित विशिष्ट आवेश अनंत होता है |
आपेक्षित विशिष्ट आवेश = e/m
आपेक्षित विशिष्ट आवेश = 1/0 = अनंत
- इलेक्ट्रॉन पर वास्तविक विशिष्ट आवेश = 76 x 108 C/g
- किसी परमाणु में इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोन की संख्या के बराबर होती है |
प्रोटॉन की खोज-
परमाणु का धन आवेशित कण जो नाभिक में उपस्थित होता है प्रोटॉन कहलाता है |
- प्रोटॉन की खोज 1886 में गोल्डस्टीन द्वारा की गई लेकिन प्रोटॉन शब्द रदरफोर्ड द्वारा दिया गया |
- प्रोटोन की खोज के लिए एनोड किरणों का विश्लेषण किया गया |
- प्रोटॉन को P OR H+ द्वारा प्रदर्शित किया जाता है |
- प्रोटॉन H+ के समतुल्य होता है |
- प्रोटॉन आयनित हाइड्रोजन परमाणु होता है |
- प्रोटॉन का द्रव्यमान A या 0075 amu or 1.672 x 10-24 g है |
- प्रोटॉन पर इकाई धन-आवेश +1.6 x 10-19 or +4.8 x 1010 esu होता है |
- प्रोटॉन का आपेक्षित विशिष्ट आवेश 1 होता है
- प्रोटॉन का वास्तविक विशिष्ट आवेश 58 x 104 होता
- किसी भी परमाणु में प्रोटॉन की संख्या उसके परमाणु क्रमांक के बराबर होती है |
नोट- प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन सामूहिक रूप से न्यूक्लिऑन कहलाते हैं |
न्यूट्रॉन की खोज [n]
परमाणु का उदासीन कण जो नाभिक में उपस्थित होता है न्यूट्रॉन कहलाता है |
- परमाणु में न्यूट्रॉन की खोज अनेक वर्षों बाद सन् 1932 में चैडविक (Chadwick) द्वारा हुई ।
- बेरीलियम पर अल्फा कणों की बमबारी के दौरान चैडविक ने पाया कि एक नया कण उत्पन्न हो रहा है, जो उदासीन है इस उदासीन कण को न्यूट्रॉन नाम दिया गया।
- इसका भार प्रोटॉन से थोड़ा अधिक 675 x 10-24 ग्राम अथवा 1..0087 amu होता है।
- इसकी खोज कृत्रिम रेडियो एक्टिविटी द्वारा की गई |
- यह परमाणु का सबसे भारी कण होता है |
- हाइड्रोजन को छोड़कर अन्य सभी परमाणु के नाभिक में न्यूट्रॉन होता है
- इसका द्रव्यमान 1 या 1.0089 amu or 1.67 x 10-24g होता है |
- न्यूट्रॉन की संख्या निम्न सूत्रों द्वारा ज्ञात की जाती है-
A = n + P
n = A- P
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