रासायनिक संयोग के नियम – द्रव्य के संरक्षण का नियम

रासायनिक संयोग के नियम – Chemistry

रासायनिक संयोग के नियम – Class 11 Chemistry  Chapter 1 यह कक्षा 11 का प्रथम अध्याय है , इस पोस्ट में आपको सम्पूर्ण नोट्स मिलेंगे

सभी रासायनिक अभिक्रियाएँ विशेष नियमों का पालन करती हैं। ये नियम रासायनिक संयोग के नियम कहलाते हैं। ये नियम निम्नलिखित हैं-

 1. द्रव्य के संरक्षण का नियम अथवा द्रव्य की अविनाशिता का नियम

इस नियम को सर्वप्रथम, रूसी वैज्ञानिक लोमोनोसोव ने सन् 1756 में प्रतिपादित किया था जिसकी पुष्टि बाद में लेवाजिए, लैण्डोल्ट आदि वैज्ञानिकों ने की। इस नियम के अनुसार, किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेने वाले पदार्थो की मात्राओ का योग , रासायनिक क्रिया के पश्चात बनने वाले पदार्थो की मात्रा के योग के बराबर होता है |

Ex. 2H2+02 →2H20

(ii) स्थिर अनुपात का नियम

जोसफ लुई प्राउस्ट (1799) ने यह देखा कि प्रत्येक यौगिक का संघटन सदैव निश्चित रहता है, चाहे उसे किसी भी स्रोत से प्राप्त किया गया हो। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए उन्होंने स्थिर अनुपात का नियम प्रतिपादित किया, जो इस प्रकार है-

प्रत्येक रासायनिक यौगिक में उसके अवयवी तत्व भार के  अनुसार सदैव एक निश्चित अनुपात में पाए जाते हैं चाहे वह यौगिक किसी भी विधि से प्राप्त किया गया हो

उदाहरणार्थ-जल निम्नलिखित स्रोतों से प्राप्त हो सकता है-

(i) नदी, कुआँ, समुद्र, वर्षा आदि प्राकृतिक स्रोत से,

(ii) प्रयोगशाला में हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का संयोग करके, अथवा

(iii) अन्य रासायनिक विधि से।

इसमें भार की दृष्टि से हाइड्रोजन और ऑक्सीजन सदैव 1: 8 के अनुपात में संयुक्त रहते हैं।

(iii)  गुणित अनुपात का नियम 

इस नियम को 1803 में जॉन डाल्टन ने प्रतिपादित किया था। इस नियम के अनुसार, “जब दो तत्व आपस में संयोग करके दो या दो से अधिक यौगिक बनाते हैं, तब एक तत्व की भिन्न-भिन्न मात्रायें जो दूसरे तत्व के निश्चित द्रव्यमान से संयोग करती हैं, परस्पर एक सरल अर्थात् पूर्णांक अनुपात रखती हैं।

उदाहरण के लिए (i) कार्बन ऑक्सीजन से दो प्रकार से संयोग करता है।

C + O2 → CO(कार्बन मोनो ऑक्साइड)

C + O2 → CO2

(iv) व्युत्क्रम अथवा तुल्य अनुपात का नियम (Law of Reciprocal or Equivalent Porportion)

इस नियम का प्रतिपादन सन् 1792 में रिचर (Richter) ने किया था। इनके अनुसार, “जब दो तत्वों की विभिन्न मात्रायें अलग-अलग किसी तीसरे तत्व की निश्चित मात्रा से संयोग करती हैं, तो वे आपस में उसी अनुपात में अथवा इसके एक सरल या गुणित अनुपात में संयोग करेंगी जिसमें वे तीसरे तत्व की निश्चित मात्रा से संयोग करती हैं।”

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(v) गे-लूसैक का गैसीय संयोजन का नियम

(Gay-Lussac’s Law of Gaseous Combination)
यह नियम सन् 1808 में गे-लूसैक ने प्रतिपादित किया था। इस नियम के अनुसार, जब गैसें आपस में संयोग करती हैं तो उनके आयतनों में सरल अनुपात होता है और यदि उनके संयोग से बना हुआ पदार्थ भी गैस हो तो उसका आयतन भी क्रियाकारी गैसों के आयतन के सरल अनुपात में होगा, जबकि सभी आयतन एक ही ताप व दाब पर नापे जायें।

उदाहरणार्थ- हाइड्रोजन का एक आयतन क्लोरीन के एक आयतन से संयोग करके दो आयतन हाइड्रोजन क्लोराइड गैस बनाता है |

रासायनिक आबंधन एवं आण्विक संरचना