ठोस अवस्था कक्षा 12, ठोसो के प्रकार, विशेषताएँ

दोस्तों आज हम पढने वाले है chemistry class 12 chapter 1 solid state (ठोस अवस्था) ठोस क्या है, ठोस की परिभाषा क्या है, इसके साथ ही ये कितने प्रकार के होते है| ये सब हम ठोस के बारे में पड़ेंगे

अध्याय – 1 ठोस अवस्था कक्षा 12

ठोस अवस्था (Solid State) –आज हम पढेंगे –
ठोस क्या है-
ठोसो की विशेषताएँ –
ठोसो के प्रकार- 

ठोस की परिभाषा- वे पदार्थ जिनका आकार व आयतन निश्चित होता है उन्हें ठोस कहते हैं.| उदाहरण – लोहा , पत्थर , पेन , मोबाइल

पदार्थ की वह अवस्था जिसमें अवयवी कण अर्थार्थ जैसे  परमाणु, अणु या आयन एक प्रबल अंतराण्विक बलों द्वाराबंधे  होते हैं, जिसके कारण  अवयवी कण गति करने में असमर्थ रहते हैं। ये  निबिड संकुलित होते है, पदार्थों की इस अवस्था को ठोस अवस्था (solid state in Hindi) कहते हैं। 

ठोसो की विशेषताएँ –


•प्रत्येक ठोस अवयवी कणों से मिलकर बना होता है।
ये अवयवी कण अणु , परमाणु  या आयन होते है। 
•ये  निबिड संकुलित होते है
• ठोस असंपीडनीय होते है |
•ठोस कठोर होते हैं।
•इसका आयतन निश्चित बना रहता है।
•इनका घनत्व अधिक होता है।

ठोस पदार्थों में निम्नलिखित दो प्रकार के गुण पाए जाते हैं।
(1) विद्युतीय गुण
(2) चुंबकीय गुण

1. विद्युतीय गुण

(i) चालक – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा आसानी से प्रभावित हो सके उन्हें चालक कहते हैं।
(ii) कुचालक या विद्युतरोधी – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा प्रवाहित नहीं होती है उन्हें और विद्युतरोधी कहते हैं।
(ii) अर्धचालक – वह ठोस पदार्थ जिनमें विद्युत धारा कुछ परिस्थितियों में प्रभावित हो जाती है एवं कुछ परिस्थितियों में प्रवाहित नहीं होती है तब उन्हें अर्धचालक कहते हैं।

2. चुंबकीय गुण

(i) प्रतिचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा दुर्बल रूप से प्रतिकर्षित होते हैं उन्हें प्रतिचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।
(ii) अनुचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा आकर्षित होते हैं उन्हें अनुचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।
(ii) लौहचुंबकीय – वे ठोस पदार्थ जो चुंबकीय क्षेत्रों द्वारा प्रबल रूप से आकर्षित होते हैं उन्हें लौहचुंबकीय पदार्थ कहते हैं।

ठोसो के प्रकार –

ठोस के प्रकार –
1.क्रिस्टलीय ठोस
2.अक्रिस्टलीय ठोस

क्रिस्टलीय ठोस- वे ठोस जिनके रचक घटक अणु, परमाणु या आयन एक नियमित क्रम में व्यवस्थित होते है, क्रिस्टलीय ठोस कहलाते है |

क्रिस्टलीय ठोस के गुण-


•क्रिस्टलीय ठोस का गलनांक निश्चित होता है।
•क्रिस्टलीय ठोस विषमदैशिक होते हैं।
•क्रिस्टलीय ठोस को तेज धार वाले औजार से काटने पर इसके दो भागों में विभक्त टुकड़ों की सतहें सपाट तथा चिकनी होती हैं।
•क्रिस्टलीय ठोस वास्तविक ठोस होते हैं

अक्रिस्टलीय ठोस – वे ठोस जिनके रचक घटक अणु, परमाणु या आयन एक नियमित क्रम में व्यवस्थित होते है, अक्रिस्टलीय ठोस कहलाते है |

अक्रिस्टलीय ठोस के गुण-


•अक्रिस्टलीय ठोस का गलनांक निश्चित नही होता।
•अक्रिस्टलीय ठोस सममदैशिक होते हैं।
•अक्रिस्टलीय ठोस को तेज धार वाले औजार से काटने पर इसके दो भागों में विभक्त टुकड़ों की सतहें सपाट तथा चिकनी नहीं होती हैं।
•अक्रिस्टलीय ठोस आभासी ठोस होते हैं

क्रिस्टलीय ठोस व अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर 
क्रिस्टलीय ठोस व अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर

क्रिस्टलीय ठोस व अक्रिस्टलीय ठोस में अंतर 

 गुण क्रिस्टलीय (Crystalline) अक्रिस्टलीय (non crystalline)
 1. ज्यामितीय आकार इनका ज्यामितीय आकार निश्चित होता है। इनका ज्यामितीय आकार निश्चित नहीं होता।
 2. अवयवी कणों की व्यवस्था नियमित क्रम में होती है |  नियमित क्रम में नही होती है
 3. प्रकृतिवास्तविक ठोसआभासी ठोस या अतिशीतित द्रव
 4. गलनांकनिश्चित होता है।निश्चित नहीं होता
 5. गलन ऊष्मानिश्चित होती है।निश्चित नहीं होती।
 6. दैशिकता ये विषम दैशिक होते है। उदाहरण कॉपर , लोहा , ये सम दैशिक होते है। उदाहरण : काँच , लकड़ी , रबड़ ,
https://www.youtube.com/watch?v=pdnTTVxd5hE&t=469s

सम दैशिकता किसे कहते है ?

ठोसों के भौतिक गुण जैसे अपवर्तनांक, विधुत , ऊष्मा चालकता व यांत्रिक सामर्थ्य आदि के मान किसी ठोस में अलग अलग दिशाओं से ज्ञात करने पर यदि ये मान समान आते है तो इन्हे सम दैशिक ठोस कहते है। और इस गुण को सम दैशिकता कहते है।
Note: अक्रिस्टलीय ठोस में अवयवी कण निश्चित क्रम में नहीं होते अतः ये सम दैशिक है।

विषम दैशिक किसे कहते है ? 

ठोसों के भौतिक गुण जैसे – अपवर्तनांक विधुत, ऊष्मा चालकता , व यांत्रिक सामर्थ्य आदि के मान किसी ठोस में अलग अलग दिशाओं से ज्ञात करने पर यदि ये मान समान नहीं आते है तो उन्हें विषम दैशिक ठोस कहते है इस गुण को विषम दैशिकता कहते है।

https://www.youtube.com/watch?v=NiMNmpueye4&t=343s

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इकाई सेल – सरल घनीय, फलक केन्द्रित घनीय संरचना

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Akash Sahu

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