प्राउस्ट की संकल्पना
तत्वों के परमाणु भार हाइड्रोजन के परमाणु भार के सरल गुणांक हैं। प्राउस्ट ने डाल्टन के परमाणुवाद के सिद्धान्त और कुछ तत्वों के परमाणु भार ज्ञात होने के आधार पर यह संकल्पना दी | किन्तु यह संकल्पना अधिक समय तक मान्य नहीं हो सकी क्योंकि तत्वों के परमाणु भार पूर्ण संख्या में न होकर भिन्न में भी पाये जाते हैं।
डोबेराइनर के त्रिक का नियम
इनके अनुसार “जब समान गुण वाले तत्वों को उनके परमाणु भार के बढ़ते क्रम में रखा जाये तो बीच वाले तत्व का परमाणु भार शेष दोनों तत्वों के परमाणु भार के औसत मान के बराबर (लगभग) होता है ”। तत्वों के इन समूहों को डोबेराइनर का त्रिक कहा गया है।
डोबेरीनर कछ ही तत्वों को त्रिक के रूप में व्यवस्थित कर सके | साथ ही कुछ ऐसे तत्व भी हैं जिनके त्रिक में उपस्थित सभी तत्वों का परमाणु भार लगभग समान है। जैसे –
अत: यह कल्पना सभी तत्वों के लिये मान्य नहीं हुई।
न्यूलेण्ड का अष्टक नियम
जिस प्रकार संगीत के स्वर में आठवाँ स्वर, प्रथम स्वर के समान होता है उसी प्रकार यदि तत्वों को उनके बढ़ते हुए परमाणु भारों के आधार पर व्यवस्थित किया जाये तो किसी भी तत्व से आरम्भ करने पर आठवें तत्व के गुण प्रथम तत्व के गुणों से समानता दर्शाते है। जैसे –
उपरोक्त सारणी से यह स्पष्ट है कि लिथियम के बाद आठवाँ तत्व सोडियम है, जिसके गुण लिथियम से मिलते है | समान रूप से Mg, Be के लिए, Al ,B के लिए आठवाँ तत्व है।
लोथरमेयर का आयतन वक्र
लोथर मेयर ने तत्वों के भौतिक गुणों का उनके परमाण्वीय आयतन से सम्बद्ध दिखाया। उपरोक्त परमाण्वीय आयतन को, परमाणु भारों के साथ सम्बद्ध करके ग्राफ खीचे जिन्हें लोथर मेयर के आयतन वक्र कहते है। क्षारीय मृदा धातुएँ जो अपेक्षाकृत कुछ कम विद्युत धनी हैं जैसे Be, Mg, Ca, Sr, Ba आदि वक्र के अवरोही भाग में स्थित है। हैलोजन तथा उत्कृष्ट गैसों (हीलियम के अलावा) ने वक्र के आरोही भाग में स्थान प्राप्त किया। क्षार धातुओं के आयतन सर्वाधिक होते हैं अतः वक्र में ये शीर्ष स्थान पर पाये गये। ये प्रबल विद्युत धनी तत्व है।.
संक्रमण तत्वों के आयतन सबसे कम होते हैं। अतः: ये ग्राफ में सबसे नीचे पाये जाते हैं।
मैण्डलीफ का आवर्त नियम
मैण्डलीफ के आवर्त नियम के अनुसार “तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके परमाणु भारों के आवर्ती फलन होते है |
मैण्डलीफ की आवर्त सारणी
आवर्त सारणी परमाणु भार पर आधारित है। आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियाँ आवर्त तथा लम्बवत् पंक्तियाँ वर्ग कहलाती है। आवर्त सारणी में 7 आवर्त तथा 9 वर्ग है। उसकी मूल आवर्त सारणी में 8 वर्ग थे। शून्य वर्ग में अक्रिय गैसों को बाद में जोड़ा गया था। क्योंकि मैण्डलीफ ने जब आवर्त सारणी बनाई उस समय अक्रिय गैसों की खोज नहीं हुई थी। प्रत्येक वर्ग (आँठवें व शून्य वर्ग को छोड़कर) A व B में विभाजित है। 2, 8, 18, व 32 को जादुई संख्याएँ कहते हैं।
मेण्डलीफ की आवर्त सारणी के गुण-
प्रथम बार उस समय तक ज्ञात तत्वों का वर्गीकरण हुआ और समान गुण वाले तत्व एक वर्ग में रखे गये। इस प्रकार इन तत्वों और उनके यौगिकों का अध्ययन सरल हो गया। इसके द्वारा नये तत्वों के अनुसंधान को भी प्रोत्साहन मिला। मेन्डलीफ ने उस समय तक अज्ञात तत्वों के गुणों तक की भविष्यवाणी भी कर दी थी। इससे तत्वों को खोजने में बहुत सहायता मिली। इस प्रकार मैण्डेलीफ ने निम्नलिखित तत्वों के गुणों का अनुमान लगाया।
(A) एका-बोरॉन जो बाद में स्कैन्डियम
(B) एका-ऐल्युमिनियम – जो बाद में गैलियम
(C)एका-सिलिकन जो बाद में जर्मेनियम (Ge) कहा गया।
मैण्डलीफ की आवर्त सारणी के दोष
(1) हाइड्रोजन का स्थान – हाइड्रोजन के गुण क्षार धातु व हैलोजनों के साथ समानता प्रदर्शित करते हैं। अतः इसके स्थान के बारे में निश्चितता नहीं है।
(2) समस्थानिकों की स्थिति – समस्थानिकों के परमाणु भार भिन्न भिन्न होते हैं तथा आवर्त सारणी परमाणु भार पर आधारित होती है इसलिये, परमाणु भार के आधार पर विभिन्न समस्थानिकों को आवर्त सारणी में भिन्न भिन्न स्थान मिलने चाहिये।
(3) असमान गुणों वाले तत्व जैसे क्षार धातु के साथ सिक्का धातुएँ (Cu, Ag तथा Au) तथा क्षारीय मृदा धातु के साथ Zn, Cd, Hg व हैलोजन के साथ Mn जैसी धातुएँ रखना उचित नहीं है। इसी प्रकार समान गुणों वाले Pt , Au को पृथक वर्ग में रखा गया है।
(4) लैन्येनाइड व ऐक्टिनाइड के बारे में यह पता नहीं चलता कि ये IIA वर्ग से सम्बन्धित हैं या III B वर्ग से सम्बन्धित हैं |
आधुनिक आवर्त नियम व आधुनिक आवर्त सारणी
मोसले नाम के वैज्ञानिक ने यह सिद्ध किया कि तेज गति के इलेक्ट्रॉन की, धातु पर बौछार कराने पर प्राप्त किरणों की आवृति (v ) का वर्गमूल धातु के परमाणु के नाभिकीय आवेश के समानुपाती होता है जिसे निम्नलिखित सम्बन्ध से स्पष्ट किया जा सकता है।
परमाणु पर नाभिकीय आवेश परमाणु क्रमांक के बराबर होता है।
आधुनिक आवर्त नियम के अनुसार “तत्वों के भौतिक व रासायनिक गुण उनके परमाणु क्रमांकों के आवर्ती फलन होते है |”
आधुनिक अथवा दीर्घ रूप आवर्त सारणी ..
आधुनिक आवर्त नियम के आधार पर, बोर नामक वैज्ञानिक द्वारा आवर्त सारणी को दीर्घ स्वरूप दिया गया। इसे रेंग व वार्नर ने निर्मित किया। आवर्त सारणी में क्षैितिज रेखाएँ आवर्त व लम्बवत् रेखाएँ वर्ग कहलाती है। आवर्त सारणी में कुल सात आवर्त हैं, तथा 18 लम्बवत् रेखाएँ है। अभी तक कुल 109 तत्व खोज लिये गये हैं, परन्तु 105 तक के तत्वों का विस्तृत अध्ययन हो पाया है।
लैन्थेनाइड (परमाणु क्रमांक 58 से 71) तथा ऐक्टिनाइड (परमाणु क्रमांक 90 से 103) तक के तत्वों को छठे व सातवें आवर्त में गिना जाता है, यद्यपि इन्हें आवर्त सारणी के बाहर रखा गया है।