महादेवी का जन्म 26 मार्च, 1907 को फ़र्रुख़ाबाद उत्तर प्रदेश में हुआ था।महादेवी वर्मा के पिता का नाम श्री गोविन्द प्रसाद वर्मा और माता का नाम श्रीमती हेमरानी वर्मा था एवं इनके नाना ब्रजभाषा के एक अच्छे कवि थे।इसी कारण बाल्यकाल से ही महादेवी को भी कविता लिखने की रुचि उत्पन्न हो गई।
महादेवी वर्मा जी 6वी कक्षा में थी तभी उनका विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ कर दिया गया| विवाह के बाद महादेवी वर्मा जी की पढाई में रूकावट आ गई और उनकी पढाई रुक गई लेकिन जब उनके ससुर का निधन हो गया तों फिर इसके बाद इन्होने पढाई को पुनः प्रारंभ किया और इन्होंने घर पर ही चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अर्जित की।
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा इंदौर में और उच्च शिक्षा प्रयाग में सफल हुई थी. संस्कृत में एम. ए. उत्तीर्ण करने के बाद ये प्रयाग महिला विद्दापीठ में प्राचार्य हो गयी
महादेवी वर्मा जी का विवाह डॉ० स्वरूपनारायण वर्मा के साथ 1916 में हुआ था स्वरूपनारायण वर्मा जी बरेली के पास नवाब गंज के रहने बाले थे जब इनका विवाह हुआ तब ये 10 कक्षा में पढ़ते थे महादेवी जी का जीवन एक संन्यासिनी के रूप में देखा गया है उनके पति का निधन 1966 में हो गया जिसके बाद महादेवी जी इलाहाबाद में रहने लगी
महादेवी वर्मा जी ने पहला काव्य संग्रह नीहार को लिखा जिसमे 47 गीतों का वर्णन मिलता है | इनके द्वारा रश्मि काव्य को लिखा गया जिसमे 35 गीत संकलित है महादेवी द्वारा बहुत सारी रचनाओ को लिखा गया जैसे- दीपशिखा, अतीत के चलचित्र, स्मृति की रेखाएं, पथ के साथी, क्षणदा, साहित्यकार की आस्था, श्रृंखला की कड़ियां, चिंतन के क्षण आदि |
महादेवी वर्मा द्वारा लिखी गई रचना नीरजा बहुत ही चर्चित हुई जिस पर उन्होंने 500 रुपये का सेक्सरिया पुरस्कार जीता
इनके द्वारा लिखा गया पहला काव्य संग्रह नीहार जिनके लिये इन्हें मंगला-प्रसाद पारितोषिक पुरुस्कार से सम्मानित किया गया
सन् 1956 में पद्मभूषण एवं 1988 में ‘पद्म विभूषण से भी इन्हें भारत सरकार द्वारा सम्मानित किया गया
महादेवी जी ज्ञानपीठ पुरस्कार से भी सम्मानित है महादेवी जी भारतेन्दु पुरस्कार से भी सम्मानित है
‘आधुनिक युग की मीरा’ कही जाने वाली महादेवी वर्मा का 11 सितम्बर, 1987 को इनका निधन प्रयाग में हुआ था
दोस्तों अब हम परीक्षा की द्रष्टि से महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय देखेगे ,आप किसी भी कक्षा में हो या कॉलेज में हो जहा पर भी महादेवी वर्मा जी का जीवन परिचय लिखने को आता है ,आप मेरे द्वारा बताये गए इस जीवन परिचय को लिख सकते है
नीरजा, दीपशिखा, रश्मि
महादेवी वर्मा जी ने अपनी रचनाओ में कड़ी बोली का प्रयोग किया है जिससे उनकी भाषा सरल,सहज व मधुर है
इनकी रचनाओ में कही कही संस्कृत भाषा का प्रयोग भी देखने को मिलता है इनकी रचनाओ में मुहावरों, अलंकारो एवं लोकोक्तियों का भी प्रयोग किया गया है।
वर्मा जी में कम शब्दों में बहुत कुछ कह देने बाली कला में निपुण थीं। उनका शब्द-चयन अत्यन्त सुन्दर, भावनाओं के अनुकूल है। सांकेतिक भाषा का भी प्रयोग इनकी रचनाओ में देखने को मिलता है
शैली- महादेवी वर्मा ने भावात्मक शैली, वर्णनात्मक शैली, चित्रात्मक शैली, विवेचनात्मक शैली का प्रयोग अपनी रचनाओ में किया है वर्मा जी भावात्मक शैली का प्रयोग करती हुई रेखा चित्र व गद्य का वर्णन करती है उन्होंने वाक्य को छोटे रूप में व्यक्त करते हुए अपने निबंध में वर्णनात्मक शैली का प्रयोग किया है व्यक्ति के शब्दों तथा गुणों का वर्णन चित्रात्मक शैली में किया है
आधुनिक युग की मीरा कही जाने वाली महादेवी वर्मा जी का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान रहा है उन्होंने अपने साहित्य में नारी का स्थान सर्वोपरि माना है जिससे उन्हें महिला मुक्तिवादी भी कहा गया। हिंदी साहित्य जगत सदैव उनका आभारी रहेगा।
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