मिलिकन का तेल बूंद परीक्षण –
मिलिकन ने तेल बूंद विधि द्वारा इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित ऋण आवेश का मान ज्ञात किया। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर 1.602 x 10-19 कूलॉम का आवेश होता है तथा इसका द्रव्यमान 9.109 x 10-28 ग्राम होता है, जो कि हाइड्रोजन के परमाणु भार का 1/1837 वाँ भाग होता है।
इलेक्ट्रॉन, द्रव्य का मूल रचक है – जे. जे. थॉमसन ने बहुत से प्रयोग किये जिनसे कैथोड किरणों के आवेश तथा उनके भार का अनुपात e/m ज्ञात हुआ। इसके लिए उन्होंने विसर्जन नलिका में विभिन्न गैसें ली तथा भिन्न-भिन्न धातुओं के इलेक्ट्रोडों का प्रयोग किया परन्तु प्रत्येक दशा में e/m का मान 1.759 x 108 कूलॉम (coulomb) प्रति ग्राम ही प्राप्त हुआ। इससे यह निष्कर्ष निकलता है कि इलेक्ट्रॉन प्रत्येक प्रकार के द्रव्य (matter) का मूल रचक है।
परमाणु में इलेक्ट्रान होने के प्रमाण-
(क) तापायनिक उत्सर्जन– टाइमस एल्बा एडीसन वैज्ञानिक ने सन् 1884 में यह ज्ञात किया कि जब किसी धातु के तार को निर्वात् (vacuum) में गर्म किया जाता है तो इसमें से इलेक्ट्रॉन उत्सर्जित होने लगते हैं। यह इलेक्ट्रॉन ताप-आयन कहलाते हैं। इस क्रिया को तापायन उत्सर्जन क्रिया कहते हैं।
(ख) प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photo Electric Effect)- सर जे. जे. थॉमसन ने अपने प्रसिद्ध प्रयोगों के आधार पर यह अनुभव किया कि जब एक खास आवृत्ति (frequency) का प्रकाश किसी धातु की सतह से टकराता है तो उस धातु से इलेक्ट्रॉन निकलते हैं। ये इलेक्ट्रॉन फोटो इलेक्ट्रॉन (photo electrons) कहलाते हैं। इस क्रिया को प्रकाश विद्युत प्रभाव कहते हैं। यह प्रभाव साधारण प्रकाश की अपेक्षा पराबैंगनी (ultraviolet) प्रकाश में अधिक धातुओं द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। सीजियम (Cs) जो एक क्षारीय (alkali) धातु है तथा जिसका आयनन विभव सबसे कम है, सबसे सुगमता से प्रकाश द्वारा इलेक्ट्रॉनों का उत्सर्जन करता है।
(ग) रेडियोऐक्टिव किरणों की प्रकृति -रदरफोर्ड ने सन् 1902 में इन किरणों का अध्ययन किया। उन्होंने जब इन किरणों को विपरीत आवेश वाली प्लेटों के बीच में से प्रवाहित किया तो यह दो भागों में विभाजित हो जाती हैं। एक भाग जो धनात्मक प्लेट की ओर मुड़ गया वह B-किरण कहलाया। यह किरण ऋण आवेशित कणों से बनी है तथा इनका e/m इलेक्ट्रॉनों के समान होता है। ये कण इलेक्ट्रॉन ही हैं, परन्तु अत्यधिक वेग से उत्सर्जित होते हैं।
इलेक्ट्रॉनों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु जटिल होते हैं और इनमें सूक्ष्म संरचनात्मक कण उपस्थित होते हैं, क्योंकि इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित आवेश न्यूनतम विद्युत आवेश है, अतः इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित आवेश को इकाई ऋण आवेश मान लिया गया है।
द्रव्यमान संख्या या द्रव्यमान अंक (Mass number)
परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन की संख्या का योग तत्व का द्रव्यमान अंक कहलाता है। तथा द्रव्यमान संख्या को A से ब्यक्त करते है |
विद्युत-चुम्बकीय तरंगें –
सन् 1864 में जे. सी. मैक्सवेल ने ऊर्जा विकिरणों के सम्बन्ध में एक नियम दिया। इस नियम के अनुसार, किसी उच्च आवृत्ति वाली प्रत्यावर्ती धारा (alternating current) में से विकिरणों के रूप में ऊर्जा उत्सर्जित होती है, जो एक प्रकार की तरंगों के समान होती है और इसका वेग प्रकाश के वेग के समान होता है। ये तरंगें विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्रों के दोलन के कारण उत्पन्न होती हैं, इसलिए इन्हें विद्युत चुम्बकीय तरंगें भी कहते हैं। इन तरंगों में विद्युत तथा चुम्बकीय क्षेत्र एक-दूसरे के लम्बवत रहते हैं, और ये दोनों क्षेत्र तरंग की दिशा के भी लम्बवत् रहते हैं।
दृश्य प्रकाश किरणें, अवरक्त किरणें, पराबैंगनी किरणें, गामा किरणें, X-किरणें, रेडियो तरंगें आदि सभी विद्युत चुम्बकीय तरंगों के उदाहरण हैं। इनमें से दृश्य प्रकाश की किरणें वे होती हैं जिनकी उपस्थिति में हम वस्तुओं को आँखों से देख सकते हैं।
तरंगीय गति के लक्षण (Characteristics of Wave motion)
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तरंगदैर्ध्य (Wavelength)-
किसी तरंग के दो निकटतम शिखर बिन्दु या निम्निष्ठ बिन्दु के मध्य की दूरी को तरंगदैर्ध्य कहते हैं। तरंगदैर्ध्य () को मीटर (m), सेन्टीमीटर (cm) या ऐंगस्ट्रॉम (A) इकाइयों द्वारा दर्शाया जा सकता है। 1A – 10-8 cm = 10-10 m
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आवृत्ति (Frequency)-
कोई तरंग किसी निश्चित बिन्दु पर से एक सेकण्ड में जितनी बार गुजरती है, उस संख्या को उस तरंग की आवृत्ति कहते हैं। इसे । (न्यू) से प्रदर्शित करते हैं और इसकी इकाई साइकिल प्रति सेकण्ड (cycles per second) cps या (Hertz) Hz होती है।
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वेग (Velocity)-
किसी तरंग द्वारा एक सेकण्ड में चली गई दूरी को उस तरंग का वेग कहते हैं और इसे C से प्रदर्शित करते है प्रयोगों द्वारा (c) का मान0 x 108 m/s पाया गया है। वास्तव में यह वायु में प्रकाश का वेग है।
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तरंग संख्या (Wave Number)-
सेमी में व्यक्त तरंगदैर्ध्य प्रतिलोम को तरंग संख्या कहते हैं।
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आयाम
– किसी तरंग के शिखर बिन्दु की ऊँचाई या निम्निष्ठ बिन्दु की गहराई को तरंग का आयाम कहते हैं। इसे a से प्रदर्शित करते हैं।