प्रश्न- वाष्प दाब क्या है ? लिखिए
वाष्प दाब
यदि एक शुद्ध द्रव को प्रारम्भ में निर्वातित बन्द पात्र में रखा जाता है, यह द्रव वाष्पित होकर द्रव के ऊपर के स्थान को भर देता है । दिये गये ताप पर जब साम्य प्राप्त होता है तो द्रव की वाष्प द्वारा लगाया गया दाब शुद्ध द्रव P° का वाष्प दाब कहलाता है। H2O(l) = H2O(g)P° के सन्द्रभ में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु हैं
- दो अवस्थाओं के आयतन तथा साथ ही द्रव – वाष्प सीमा के लिए क्षेत्रफल तथा वक्रता पर P° निर्भर नहीं करता है ।
- वाष्प अवस्था में अन्य गैसों की उपस्थिति पर P° निर्भर नहीं करता है।
- निकाय के तापमान वृद्धि के साथ, द्रव के P° में भी वृद्धि होती है । क्वथनांक : वह ताप जिस पर एक द्रव का वाष्पदाब, प्रयुक्त (लगाये गये दाब) दाब के बराबर हो जाता है, द्रव के क्वथनांक से परिभाषित किया जाता है । यदि प्रयुक्त दाब 1 atm है, तो इस क्वथनांक को द्रव का सामान्य क्वथनांक कहते हैं ।
- एक उच्च वाष्पदाब के साथ एक द्रव अधिक वाष्पशील होता है जिसके कारण इस द्रव का क्वथनांक कम होता है अतः इसका क्वथनांक तथा वाष्पदाब एक-दूसरे के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
- वाष्प के दाब (P) से वाष्प दाब (P) को विभेदित किया जाना चाहिए । (P≠ P°, साम्य पर P का मान P° से अधिक नहीं हो सकता है)
- वाष्प दाब निम्न कारकों पर निर्भर करता है ।