कोलॉइडी विलयन

कोलॉइडी विलयन | वास्तविक विलयन | निलम्बन | पायस

पदार्थ के कणों के आकार के आधार पर विलयनों को प्रकारों में विभाजित किया गया हैं।

(1वास्तविक विलयन (True Solution)-एक समांगी मिश्रण होता है जिसमें विलेय पदार्थ लगभग एक-सा होता है। यह आकार लगभग 10Å (आण्विक साइज) या 10-9 m से कम  होता है। इन कणों को आँखों या सूक्ष्मदर्शी द्वारा देख नहीं सकते हैं। ये कण आयन या अणु के रूप में रहते हैं। (2) निलम्बन (Suspension)-यह एक विषमांगी मिश्रण है जिसमें विलायक के कणों का आकार 10Å से छोटा होता है, किन्तु विलेय के कणों का आकार 1000Å या 10-7m से अधिक होता है। इन कणो को आँखों से या सूक्ष्मदशी से देखा जा सकता है। EX-जब बालू को जल के साथ हिलाते हैं तब निलम्बन प्राप्त होता है। .
  1. कोलॉइडी विलयनयह भी विषमांगी मिश्रण होता है जिसमें विलेय और विलायक के कणों के आकार में भिन्नता होती है। विलेय के कणों का आकार 10 Å से 1000 Å के मध्य और विलायक के कणों का आकार लगभग 1 Å से 10 Å होता ह

कोलॉइडी निकाय के कुछ गुण

(1) कोलॉइडी निकाय एक विषमांगी तन्त्र है जिसमें दो प्रावस्थाएँ होती हैं- (2) कोलॉइडी कण सूक्ष्मदर्शी से दिखाई नहीं देते हैं और फिल्टर पत्र में से बाहर निकल जाते हैं। (3) कोलॉइडी कण पार्चमेण्ट झिल्ली में से आर-पार नहीं निकल पाते हैं। (4) कोलॉइडी कण धनावेशित या ऋणावेशित होते हैं। (5) कोलॉइडी कणों का कुल पृष्ठीय क्षेत्र बहुत अधिक होता है इसलिए अधिशोषण की प्रवृत्ति बहुत अधिक होती है। कोलॉडडी निकाय दो समांगी प्रावस्थाओं, परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण प्रावस्था से बना हुआ एक विषमांगी तन्त्र होता है जिसमें परिक्षिप्त प्रावस्था (विलेय) के कणों का आकार 10 Å से 1000 Å होता है और परिक्षेपण प्रावस्था के कणों का आकार लगभग 1Å होता है।

कोलॉइडी तन्त्रों का वर्गीकरण

कोलॉइडी तन्त्रों या निकायों का वर्गीकरण तीन मापदंडों के आधार पर किया गया है- (1) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था, (2) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम के मध्य अन्योन्य क्रिया की प्रकति| (3) परिक्षिप्त प्रावस्था के कणों का प्रकार। (1) परिक्षिप्त प्रावस्था एवं परिक्षेपण माध्यम की भौतिक अवस्था के आधार पर वर्गीकरण यह आवश्यक नहीं है कि परिक्षेपण माध्यम सदैव कोई द्रव और परिक्षिप्त अवस्था हमेशा ठोस हो। ये प्रावस्थाएँ किसी भी भौतिक अवस्था (ठोस. देव । तथा गैस) में हो सकती हैं। इस आधार पर कोलॉइडी निकाय आठ प्रकार के हो सकते हैं, जो कि निम्नांकित सारणी  में प्रदर्शित हैं :
निकाय का नाम उदाहरण   परिक्षेपण माध्यम   परिक्षिप्त प्रावस्था
1. द्रव ऐरोसॉल कुहरा गैस   द्रव  
2. ऐरोसॉल धुआँ गैस   ठोस  
3. सॉल सॉल (Au, आदि जल में) द्रव   ठोस  
4. पायस दूध, जल में तेल   द्रव   द्रव  
5. झाग साबुन का झाग   द्रव   गैस  
6.ठोस सॉल रंगीन काँच, रत्न   ठोस   ठोस  
7. जैल जैम, जैली, पनीर ठोस   द्रव  
8. ठोस फेन अधिशोषित गैसें ठोस   गैस  
अवयवों की भौतिक अवस्था के आधार पर कोलॉइडी तन्त्र  

सॉल (Sol)-

जब कोई ठोस पदार्थ किसी द्रव में परिक्षिप्त (dispersed) होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तो सॉल- (sol) कहलाता है। प्रायः सॉल को ही कोलॉइडी विलयन कहते हैं। जैसे-आर्सेनिक सल्फाइड, फेरिक हाइडॉक्साइड आदि के जल में बने कोलॉइडी विलयन। वितरण माध्यम जल होने पर इसे हाइड्रोसॉल, ऐल्कोहॉल होने पर ऐल्कोसॉल और वायु होने पर ऐरोसॉल कहते हैं।

जैल (Gel)-

जब कोई द्रव किसी ठोस में परिक्षिप्त होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है. तब इसे जैल (gel) कहते हैं। उदाहरणार्थ-जैली, पनीर, मक्खन आदि।

पायस (Emulsion)-

जब एक द्रव दूसरे अमिश्रणीय द्रव में परिक्षिप्त होकर कोलॉइडी विलयन बनाता है तब इसे पायस (emulsion) कहते हैं; जैसे-क्रीम, दूध आदि।