आदर्श एवं अनादर्श विलयन
आदर्श विलयन
(I) आदर्श विलयन वह विलयन, जो सभी सान्द्रताओं एवं सभी तापक्रमों पर राउल्ट के नियम का पूरी तरह पालन करता है आदर्श विलयन कहलाता है ।
आदर्श विलयन निम्न विशेषताएँ रखता है
(i) मिश्रण बनने में आयतन में परिवर्तन शून्य होना चाहिए (ii) मिश्रण बनने पर ऊष्मा परिवर्तन शून्य होना चाहिए । उष्मा ना ही अवशोषित ना ही उत्सर्जित होनी चाहिए) (iii) विलेय एवं विलायक के मध्य रासायनिक अभिक्रिया नहीं होनी चाहिए । (iv) आदर्श विलयन में विलेय के अणु वियोजित नहीं होने चाहिए । (v) आदर्श विलयन में विलेय के अणु संगुणित नहीं होने चाहिए । (vi) आदर्श विलयन को सभी सांद्रताओं पर राउल्ट के नियम का पालन करना चाहिए। उदाहरण : (i) बेंजीन तथा टालुईन (ii) n – हेक्सेन तथा n – हेप्टेन (iii) कार्बन टेट्रा क्लोराइड तथा सिलिकन टेट्रा क्लोराइड (iv) क्लोरोबेंजीन + ब्रोमोबेंजीन (v) एथिल आयोडाइड + एथिल ब्रोमाइड तनु विलयन को आदर्श विलयन माना जा सकता है।
(II) अनादर्श विलयन
- वे विलयन जो राउल्ट के नियम का पालन नहीं करते हैं अनादर्श विलयन कहलाते है।
- अनादर्श विलयन तब बनते है जब घटको की संरचना और ध्रुवता बहुत भिन्न होती है।
- अनादर्श विलयन राउल्ट नियम से धनात्मक अथवा ऋणात्मक विचलन दर्शाते हैं।
आदर्श एवं अनादर्श विलयन में अंतर
आदर्श विलयन (ideal solution) | अनादर्श विलयन (non-ideal solution) |
1. वे विलयन जो ताप तथा दाब की समस्त स्थिति पर राउल्ट के नियम की पालन करते है उन्हें आदर्श विलयन कहते है। अर्थात P1 = P10 X1 P2 = P20 X2 P = P10 X1 + P20 X2 | वे विलयन जो ताप तथा दाब की समस्त परास पर राउल्ट के नियम की पालन नहीं करते है उन्हें अनादर्श विलयन कहते है। P1 ≠ P10 X1 P2 ≠ P20 X2 P ≠ P10 X1 + P20 X2 |
2. विलयन का कुल आयतन दोनों घटको के कुल आयतन के योग के बराबर होता है अर्थात ΔVमिश्रण = 0 | विलयन का कुल आयतन दोनों घटको के कुल आयतन के बराबर नहीं होता है। अर्थात ΔVमिश्रण ≠ 0 |
3. विलेय तथा विलायक को मिलाने पर कोई उष्मीय परिवर्तन नहीं होते है। अर्थात ΔHमिश्रण = 0 | विलेय तथा विलायक को मिलाने पर कोई उष्मीय परिवर्तन होता है। अर्थात ΔHमिश्रण ≠ 0 |
4. शुद्ध घटको के अणुओं के मध्य उतना ही आकर्षण होता है , जितना की विलयन के घटको के मध्य। | शुद्ध घटको के अणुओं के मध्य आकर्षण बल विलयन के अणुओं के मध्य लगने वाले आकर्षण बल से भिन्न होता है। |
5. उदाहरण :(1) हेक्सेन व हैप्टैन (2) मैथिल अल्कोहल व एथिल अल्कोहल (3) क्लोरो बैंजीन व ब्रोमो बैंजीन | उदाहरण : (1) एथिल अल्कोहल व बेंजीन (2) HNO3 + H2O (3) HCL + H2O (4) CO + क्लोरोफॉर्म |
(III) राउल्ट के नियम में धनात्मक विचलन
(i) यह विचलन तब दर्शाया जाता है जब दो द्रवों से विलयन बनने में B के अणुओं A – B अणुओं के मध्य आकर्षण बल, A – A एवं B – B के के मध्य आकर्षण बल से कम होता है ।
उदाहरण : एसीटोन + एथिल एल्कोहॉल जल + एथिल एल्कोहॉल CCl4 + CHCl3 CCl4 + टॉल्युईन जल एवं मेथिल एल्कोहॉल एथेनॉल एवं साइक्लोहेक्सेन एसीटोन एवं बेन्जीन एसीटोन + CS2
(IV) राउल्ट नियम में ऋणात्मक विचलन
यह विचलन उस समय दर्शाया जाता है जबकि दो द्रवों से विलयन बनने में, A – B अणुओं के मध्य आकर्षण बल A – A एवं B—B के अणुओं के मध्य आकर्षण बल से अधिक होता है । दोनों घटक ‘A’ एवं ‘B’ की उड़ने की प्रवत्ति कम होती है अतः अनुमानित वाष्पदाब से कम वाष्पदाब दिखाता है । प्रेक्षित क्वथनांक का मान गणना द्वारा ज्ञात किये गये क्वथनांक से अधिक होता है। उदाहरण : (i) जल + HCl (ii) H2O + HNO 3 (iii) नाइट्रिक अम्ल एवं क्लोरोफॉर्म (iv) CH, OH + CH, COOH (v) एसीटिक अम्ल + पिरीडीन (vi) क्लोरोफॉर्म + डाईएथिल ईथर (vii) क्लोरोफॉर्म + बेन्जीन (viii) एसीटोन एवं क्लोरोफॉर्म विलयन का कुल वाष्प दाब, इसके समान संघटन वाले आदर्श विलयन के वाष्प दाब से अधिक होगा |