संक्षारण
आधारभूत तौर पर संक्षारण एक वैद्युत रासायनिक अपघटन है। लोहे पर जंग लगना, चांदी का विकतिकरण, तांबे तथा कांसा पर हरे कवच का विकास इत्यादि संक्षारण के उदाहरण है।
संक्षारण में, धातु ऑक्सीजन को इलेक्ट्रोन देकर स्वयं ऑक्सीकत होता है तथा ऑक्साइड बनाता है। आयरन का अपक्षय (जिसको सामान्यतया रस्टिंग या जंग लगना कहते हैं।) जल तथा वायु (ऑक्सीजन) की उपस्थिति में होता है।
संक्षारण का विद्युत रासायनिक सिद्धान्त
इस सिद्धान्त के अनुसार, पथक् एनोड एवं कैथोड भाग या क्षेत्रों जिनके बीच विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित होती है, के कारण संक्षारण होता है। एनोडिक क्षेत्रों में ऑक्सीकरण क्रिया होने से धातु, आयनों या संयुक्त अवस्था में, बनने के कारण नष्ट हो जाता है। अतः संक्षारण हमेशा एनोड भाग पर होता है।
सक्षारण को प्रभावित करने वाले कारक
- धातुओं की क्रियाशीलता : अधिक क्रियाशील धातु अधिक सरलता से संक्षारित होते हैं।
- अशुद्धियों की उपस्थिति : अशुद्धियों की उपस्थिति संक्षारण सेल के बनाने में सहायक होती है जिससे संक्षारण की गति बढ़ जाती है, जैसे उत्कष्ट धातुओं की अशुद्धि Pt, Au, Pd इत्यादि |
- वायु एवं आर्द्रता : संक्षारण में वायु एवं आर्द्रता बहुत सहायक होते हैं।
- धातु में तनाव : तनावयुक्त भाग जैसे मोड, खरोंच, खाँचा कटे भाग, वेल्डिंग हिस्से आदि अधिक संक्षारित होते हैं |
- विद्युत-अपघट्यों की उपस्थिति : संक्षारण के वेग को विद्युत-अपघटयों की उपस्थिति भी बढ़ा देती है|
सक्षारण से बचाव या सुरक्षा
कई तरीकों के द्वारा संक्षारण को रोका जा सकता है इनमें से कुछ को नीचे दर्शाया गया है।
- धातु सतह को पेंट से सुरक्षित किया जाता है जो इसे वायु, नमी आदि के संपर्क से तब तक बचाये रखता है जब तक की पेंट में दरार नही हो जाती हैं।
- मशीनरी तथा लोहे के औजार की सतह पर ग्रीस तथा तेल की परत द्वारा लोहे को जंग से बचाया जा सकता हैं जो लोहे की सतह को हमेशा नमी ऑक्सीजन तथा कार्बन डाई ऑक्साइड से बचाये रखता है।
- लोहे की सतह को असंक्षारक धातुओं जैसे निकिल, क्रोमियम, एत्यूमिनियम (इलेक्ट्रोप्लेटींग द्वारा) या टिन, जिंक आदि (गलित धातु में लोहे को डुबोकर) से आवरित किया जाता है। इस तरह यह लोहे की सतह को ऑक्सीजन तथा जल की पुनः पूर्ति से अवरूद्ध कर देता है।
- लोहे की सतह को फास्फेट या अन्य रसायनों से आवरित किया जाता है जो मजबूत॑ एवं अविलेय परत बनाने में सहायक होते है। यह लोहे की सतह को हवा तथा नमी के सम्पर्क में आने से बचाते है।