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उप-सहसंयोजक बंध

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उप-सहसंयोजक बंध

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दो परमाणुओं के मध्य बनने वाला वह बन्ध जो एक ही परमाणु द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म के साझे से बनता है,उप-सहसंयोजक बन्ध कहलाता है।

  • साझे के लिए इलेक्ट्रॉन देने वाला परमाणु दाता (donor) व बिना इलेक्ट्रॉन दिये साझा करने वाला परमाणु ग्राही (acceptor) कहलाता है।
  • दाता परमाणु द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म को एकाकी युग्म कहा जाता है।
  • उप-सहसंयोजक बंध को तीर (→) द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। इलेक्ट्रॉन युग्म प्रदान करने वाले दाता पर धनात्मक आवेश (δ+) तथा इसे ग्रहण करने वाले ग्राही परमाणु पर ऋणात्मक आवेश (δ–) स्थापित हो जाता है। उदाहरण- अमोनियम आयन (NH4+) का बनना।

उप-सहसंयोजक बन्ध से बना यौगिक उप-सहसंयोजक यौगिक कहलाता है। इस बन्ध के बनने में निम्नलिखित बिन्दुओं

पर ध्यान देना आवश्यक है-

  • उप-सहसंयोजक बन्ध बनने में साझे के लिए इलेक्ट्रॉन एक ही परमाणु द्वारा दिये जाते हैं।
  • परमाणु साझे के लिए इलेक्ट्रॉन देता है उसका अष्टक पहले से ही पूर्ण होता है।
  • साझे के इलेक्ट्रॉनों पर दाता व ग्राही दोनों परमाणुओं का अधिकार होता है।
  • अधातु तत्वों के परमाणुओं के मध्य बनता है।

 

(a) अमोनियम आयन (NH+4) का बनना-

  • नाइट्रोजन के संयोजकता कक्ष में पाँच इलेक्ट्रॉन होते हैं।
  • यह तीन हाइड्रोजन परमाणुओं के साथ दो-दो इलेक्ट्रॉनों का साझा कर अपना अष्टक पूर्ण कर लेता है। इस प्रकार तीन एकल सहसंयोजक बन्ध युक्त अमोनिया अणु प्राप्त होता है।

अमोनिया अणु एक हाइड्रोजन आयन (H+) के साथ नाइट्रोजन के पास मौजूद दो इलेक्ट्रॉनों के साझे द्वारा

उप-सहसंयोजक बन्ध बना लेता है।

उप-सहसंयोजक बन्ध को अर्द्धध्रुवीय बन्ध (semi polar bond) या डेटिव (dative) बन्ध भी कहते हैं।

 

उपसहसंयोजक यौगिकों के गुण (Properties of Coordinate Compounds)

(i) भौतिक अवस्था (Physical State)-ये यौगिक ठोस, द्रव तथा गैस सभी अवस्थाओं में पाये जाते हैं।

(ii) गलनांक एव क्वथनांक (Melting Point and Boiling point)-ये यौगिक सामान्यतः सहसंयोजक यौगिकों

से अधिक व आयनिक यौगिकों से कम गलनांक एवं क्वथनांक रखते हैं।

(iii) विलेयता (Solubility)-ये यौगिक सामान्यतः जल में अविलेय व कार्बनिक यौगिकों में विलेय होते हैं।

(iv) वैद्युत चालकता (Electrical Conductivity)- ये  गलित अवस्था में विद्युत के कुचालक होते हैं।

(v) दिशात्मक प्रवृत्ति (Directional Nature)-ये यौगिक भी दिशात्मक प्रवृत्ति रखते हैं।

 

लुईस संरचना

जी. एन. लुईस ने परमाणु में संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को दर्शाने के लिए जिन संकेतों (symbols) का प्रयोग किया उन्हें

लुईस संकेत कहते हैं। लुईस संकेत में, तत्व का संकेत परमाणु नाभिक तथा संयोजकता कक्ष के अतिरिक्त सभी इलेक्ट्रॉनों को दर्शाता है। संयोजकता इलेक्ट्रॉनों को बिन्दुओं द्वारा दिखाया जाता है; जैसे- :C:

https://akashlectureonline.com/रदरफोर्ड-का-परमाणु-मॉडल/ ‎

लुईस संकेतों के द्वारा दर्शायी गयी आण्विक संरचना लुईस संरचना कहलाती है।

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