रसायन शास्त्र का इतिहास एवं मूल अवधारणाएँ
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मनुष्य ईश्वर की एक अद्भुत कृति है। शेष जगत में यह बुद्धिमान एवं विवेकशील प्राणी है। इसका कारण मनुष्य को ईश्वर द्वारा दिया गया अत्यधिक विकसित मस्तिष्क है, जिसके द्वारा वह सोचता है। प्रकृति के रहस्यों को जानने की जिज्ञासा आदिकाल से ही मानव को रही है।
आकाश में ग्रहो, उपग्रहों का लगातार घूमना, बालक का जन्म, बरसात, बिजली का आकाश में चमकना, आदि प्रकृति में स्वतः होने वाली घटना है। इन घटनाओं के रहस्य को जानने के लिए प्रयोग, निरीक्षण किये गये है इसके क्रमबद्ध, सुब्यबस्थित एवं सुसंगठित ज्ञान ही विज्ञान कहलाता है।
प्रकृति के तथ्यों, रहस्यों और उसकी घटनाओं को क्रमबद्ध, सुसंगठित, एवं तार्किक ढंग से अध्ययन करके निश्चित नियम एवं सिद्धांत को प्रतिपादित करने की प्रणाली को वैज्ञानिक विधि कहा जाता है।
विज्ञान की शाखाएँ-
1. खगोल विज्ञान (Astronomy)- इसमें अकाशीय पिण्ड, ग्रह, उपग्रह, जैसे-सूर्य, चन्द्रमा, ग्रहों इत्यादि गतिविधियों का अध्ययन किया जाता है।
2. भू-विज्ञान (Geology)- पृथ्वी, पर्वत, नदी, चट्टान आदि की बनावट, आयु आदि का अध्ययन इस शाखा के अन्तर्गत किया जाता है।
3. वनस्पति विज्ञान (Botany)-वनस्पति जगत में पेड़, पौधे, जड़, तने, बीज, फल आदि का अध्ययन किया जाता है।
4. जन्तु विज्ञान (Zoology)- जीव-जन्तुओं के बारे में अध्ययन किया जाता है।
5. भौतिक विज्ञान (Physics)-पदार्थ के भौतिक गुणों का अध्ययन विज्ञान की इस शाखा के अन्तर्गत किया जाता है। इन गुणों को प्रभावित करने वाले कारक; जैसे-ताप, प्रकाश, विद्युत, ध्वनि आदि का अध्ययन भी भौतिक विज्ञान के अन्दर ही किया जाता है।
6. रसायन विज्ञान(Chemistry)- रसायन विज्ञान का सम्बन्ध मुख्य रूप से द्रव्य की संरचना, संगठन और इसके गुणधर्म के अध्ययन के साथ पदार्थों (substances) का एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित होने की विधि से है, क्योंकि
कोई भी वस्तु जिसमें द्रव्यमान है और जो जगह घेरती है, द्रव्य है।
रसायन विज्ञान की परिभाषा
रसायन विज्ञान एक प्रायोगिक विज्ञान है जिसके अन्तर्गत द्रव्य (matter) के सम्बन्ध में निम्नलिखित अध्ययन किए जाते है-
1. द्रव्य एवं उसका संगठन,
2. द्रव्य के अवयवों-परमाणु एवं अणुओं की संरचना,
3. द्रव्य के गुणधर्म और आण्विक संरचना से उसका सम्बन्ध तथा प्रभाव,
4. ऊष्मा तथा विभिन्न ऊर्जाओं का द्रव्य पर प्रभाव और परिवर्तन,
5. द्रव्य में होने वाले परिवर्तनों में शोषित एवं उत्सर्जित ऊर्जा और उसका स्वरूप,
6. द्रवों में परस्पर संयोग के कारण एवं नियम,
7. यौगिकों का संश्लेषण, गुणधर्म उपयोग।
अतः विज्ञान की वह शाखा, जो द्रव्य तथा उसके सूक्ष्म कणों-अणुओं, परमाणुओं के गुणधर्मों, संरचना तथा ऊर्जा द्वारा उनमें होने वाले प्रभावों का अध्ययन प्रस्तुत करती है, रसायन विज्ञान कहलाती है।
- लेवाजिए को ‘आधुनिक रसायन विज्ञान का जन्मदाता‘ कहा जाता है।
- अम्लराज (aqua regia) का सर्वप्रथम ज्ञान अरब के गेबर (Geber) को ही था।
रसायन विज्ञान का कुछ मुख्य क्षेत्रों में महत्व –
1. स्वास्थ्य रक्षा (Health Protection)-
i) जीवन-रक्षक औषधियाँ- हृदयाघात, कैन्सर आदि के लिए निर्मित दवाएँ जीवन-रक्षक औषधियाँ कहलाती हैं।
(ii) रोग रोधक-
(iii) दर्द निवारक तथा रोगाणुरोधक-
(iv) जीवाणुनाशक- फीनोल, टिंचर आदि इस प्रकार के पदार्थ हैं।
2. औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Fields)– सभी औद्योगिक क्षेत्रों में रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है। वस्त्र उद्योग, प्लास्टिक उद्योग, रंग उद्योग, सीमेन्ट, काँच, कागज उद्योग आदि कुछ भी रसायन विज्ञान से अछूता नहीं है।
3. कृषि क्षेत्र (Agricultural Field)- रासायनिक उर्वरक, कीटनाशक, परिरक्षक (preservatives) आदि का उपयोग
इस क्षेत्र में मुख्य रूप से होता है।
Note- परिरक्षक– एक रासायनिक यौगिक जिसे क्षय या अपघटन के खिलाफ सुरक्षा में जोड़ा जाता है
Ex- एक संरक्षक एक पदार्थ या रसायन है जो खाद्य, पेय पदार्थ, दवाइयों, पेंट्स, जैविक नमूने,लकड़ी और कई अन्य उत्पादों जैसे उत्पादों में जोड़ा जाता है, ताकि माइक्रोबियल वृद्धि या अवांछनीय रासायनिक परिवर्तनों से अपघटन को रोका जा सके |
4. खाद्य पदार्थ (Food Materials)- मानव की प्रथम आवश्यकता भोजन है। रासायनिक उर्वरकों ने फसल की पैदावार में वृद्धि कर विश्व की बढ़ती जनसंख्या के लिए भोजन उपलब्ध कराया है। चीनी, वनस्पति घी, सैकरीन आदि रसायन विज्ञान की देन हैं।
नोट- वनस्पति घी वनस्पति तेल से बनता है, इसे ठोस बनाने के लिए हाइड्रोजनीकृत किया जाता है। शुद्ध घी के बनावट और स्वाद की नकल करने के लिए इसे हाइड्राजनैशन किया जाता है।
5. वस्त्र (Clothes)- दूसरी मानवीय आवश्यकता वस्त्र की पूर्ति रसायन विज्ञान ने अनेक सांश्लेषिक धागे बनाकर की है; जैसे टेरीलीन, डेक्रान, नायलॉन, रेयॉन आदि।
6. भवन (Building)- मानव की तृतीय आवश्यकता रहने के लिए भवन है। रसायन विज्ञान ने सीमेन्ट, इस्पात, जलरोधी तथा अग्निरोधी पदार्थ बनाकर भवन निर्माण को आसान बनाया है।
7. धातु तथा मिश्रधातु (Metals and Alloys)- रसायन विज्ञान ने धातु निष्कर्षण की विधि देकर शुद्ध धातु प्राप्त करना बताया है। धातुओं के गुणों में वृद्धि करने के लिए उन्हें मिश्रित कर हजारों मिश्रधातु बनायी गयी हैं। पीतल, इस्पात, काँसा आदि सैकड़ों मिश्रधातु दैनिक जीवन में अति उपयोगी हैं।
8. प्लास्टिक तथा काँच (Plastics and Glass)- दैनिक जीवन के उपयोग में आने वाले गिलास, बाल्टी, डिब्बे, थैला, बरसाती आदि प्लास्टिक तथा काँच से बनने लगे हैं। प्लास्टिक तथा काँच रसायन विज्ञान की अभूतपूर्व देन हैं।
9. इंधन (Fuel)– मोटरगाड़ियों, वायुयानों, रेलगाड़ियों, रॉकेटों, उपग्रहों के ईंधन, क्रायोजेनिक इन्जन में प्रयुक्त ईंधन सभी रासायनिक पदार्थ होते हैं। घरों में प्रयुक्त LPG गैस, आधुनिक वाहनों में प्रयुक्त CNG गैस रासायनिक पदार्थ हैं।
10. सौन्दर्य प्रसाधन (Cosmetics)- सौन्दर्य प्रसाधन में काम आने वाले क्रीम, पाउडर, सुगंधित तेल, साबुन, सिंदूर, सुरमा, खिजाब, शैम्पू आदि रसायन विज्ञान की देन हैं।
11. रंग, वार्निश तथा रंजक – रंग, वार्निश तथा रंजक रसायन विज्ञान की देन हैं। कपड़ा रंगने के लिए रंजकों का प्रयोग किया जाता है। रंजक को पक्का करने के लिए रंग बन्धक प्रयोग में लाया जाता है। रंग तथा वार्निश दरवाजों, खिड़कियों, दीवारों को सुरक्षित व सुन्दर दर्शाने में प्रयुक्त होते हैं। ये सभी पदार्थ रसायन विज्ञान की देन हैं।
12. अन्तरिक्ष अभियान (Space Programme)- अन्तरिक्ष में जाने वाले खोजी उपग्रह, दूर संचार के लिए प्रयुक्त उपग्रह, उपग्रहों को अन्तरिक्ष में ले जाने के लिए प्रयुक्त रॉकेट बिना रसायन विज्ञान के सम्भव नहीं है। इनके निर्माण के लिए विशेष पदार्थ, चलाने के लिए ईधन, अन्तरिक्ष यात्रियों को विशिष्ट पोशाक, अन्तरिक्ष यात्रियों का भोजन रसायन विज्ञान की देन है।
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द्रव्य किसे कहते है ?
कोई भी वस्तु जिसमें द्रव्यमान है और जो जगह घेरती है, द्रव्य है।
आधुनिक रसायन विज्ञान का जन्मदाता’ किसे कहा जाता है।
लेवाजिए को
अम्लराज का सर्वप्रथम ज्ञान किसे था
?
अम्लराज (aqua regia) का सर्वप्रथम ज्ञान अरब के गेबर (Geber) को ही था।