प्रश्न – प्रसव किसे कहते हैं ? प्रसव को प्रेरित करने वाले हार्मोन्स के नाम लिखिए।
उत्तर – मानव में गर्भावधि की अवधि लगभग 9 माह होती है। गर्भावधि का समय पूर्ण होने पर गर्भाशय की पेशियों में तीव्र संकुचनों के कारण नवजात शिशु गर्भाशय से बाहर आ जाता है। इसे प्रसव या शिशु जन्म कहा जाता है। प्रसव के संकेत पूर्ण विकसित भ्रूण तथा अपरा से उत्पन्न होते हैं जो पीयूष ग्रंथि से ऑक्सीटोसिन हार्मोन के स्रावण को तीव्र करते हैं। ऑक्सीटोसिन अथवा पिटोसिन प्रसव पीड़ा उत्पन्न कराकर,प्रसव सम्पन्न कराते है।
प्रसव क्रिया को प्रेरित करने वाले प्रमुख हॉर्मोन्स निम्न है –
(I)कार्टिसॉल, (ii) एस्ट्रोजन, (iii) ऑक्सीटोसीन।
प्रश्न – एम्नियोसेन्टेसिस विधि को समझाइये ।
उत्तर- एमनियोसेंटेसिस एक डायग्नोस्टिक टेस्ट है। यह आमतौर पर दूसरी तिमाही में 15 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच किया जाता है। इस टेस्ट की सलाह डॉक्टर द्वारा तब दी जाती है जब शिशु में कोई विशेष स्वास्थ्य स्थिति होने की संभावना सामान्य से कहीं अधिक हो। इस टेस्ट का उपयोग आनुवांशिक स्वास्थ्य स्थितियों की पुष्टि करने के लिए किया जाता है। इसके करने का सबसे आम कारण यह जानना होता है कि आपके शिशु में कहीं डाउंस सिंड्रोम तो नहीं है। इस टेस्ट को करने के लिए डॉक्टर आपके पेट पर से एक पतली सुईं अंदर डालेंगी जिसमें सर्जिकल सुई द्वारा मादा के गर्भाशय से एम्नियोटिक द्रव को शरीर से बाहर निकाला जाता है और एम्नियोटिक द्रव में उपस्थित फोयटस कोशा का संवर्धन होता है और इसका गुणसूत्रीय परीक्षण करके कुछ बातों का पता लगाया जाता है
गुणसूत्रीय असामान्यता, उपापचयी अनियमितताएँ, जैसे- PKU, क्रिटेनिज्म, एल्केप्टोन्यूरिया।
इसका उपयोग लिंग भ्रूण के परीक्षण में होता है।
यह पूरी प्रक्रिया में लगभग 10 मिनट का टाइम लगता है।
प्रश्न -आनुवांशिकतः रूपांतरित जीव (GMO) किसे कहते हैं? इसकी उपयोगिता लिखिए।
उत्तर- ऐसे पोधे, जीवाणु ,कवक व जंतु जिनके जींस हस्तकौशल द्वारा परिवर्तित किया जा चुके है आनुवांशिकतः रूपांतरित जीव (genetically modified organization) कहलाते है
GMO का व्यवहार स्थानांतरित जीन की प्रकृति ,परपोषी पोधो ,जन्तुओ या जीवाणुओं की प्रकृति व खाद्य जाल पर निर्भर करता है
GMO पोधों का उपयोग कई प्रकार से उपयोगी है
आनुवंशिक रूपांतरण के द्वारा –
1 अजैव प्रतिबलो (ठंडा,सूखा,लवण,ताप) के प्रति अधिक सहिष्णु फसलो का निर्माण
2 रासायनिक पीडकनाशको पर कम निर्भरता करना।
3 कटाई पूरी होने के बाद होने वाले नुकसानों को कम करने में सहायक।
4 यह शीघ्र मृदा उर्वरता समापन को रोकता है एवंम पोधो द्वारा खनिज उपयोग क्षमता में वृधि करता है।
इसके साथ साथ GMO का उपयोग तदनुकूल पोधो के निर्माण में सहायक है ,जिनसे वैकल्पिक संसाधनों के र्रोप म,में उद्योगों में वसा ,ईधन व भेषजीय पदाथो की आपूर्ति की जाती है।
प्रश्न -बायोपाइरेसी को संक्षिप्त में लिखिए ।
उत्तर- विश्व में बहुत से ऐसे संगठन एवं बहुराष्ट्रीय कंपनियां हैं जो कि किसी देश विशेष में पाए जाने वाले जैविक संसाधनों का बिना किसी अधिकार के दोहन कर रही हैं इसे ही बायोपायरेसी कहते हैं अर्थात बायोपायरेसी (Bio-Piracy) का तात्पर्य किसी अन्य देश के जैविक संसाधनों का बिना पूर्व सूचना के इस्तेमाल करने से है कुछ विकासशील देश जीव संसाधन व इससे संबंधित ज्ञान में विकसित देशों से भी अधिक समृद्ध है ऐसी स्थिति में औद्योगिक रूप से विकसित देश आधुनिक तकनीक अपनाकर विकासशील देशों के जीव संसाधनों का दोहन करने का प्रयास कर रहे हैं, जिसके कारण विकासशील देशो का आर्थिक रूप से शोषण हो रहा हैं।
प्रश्न -स्वस्थाने संरक्षण एवं बाह्यस्थाने संरक्षण क्या है?
उत्तर- स्व-स्थाने सरंक्षण (In-Situ Conservation)-
जैव विधिता को उसके प्राकृतिक पर्यावरण में संरक्षित करना अर्थात विभिन्न जीव जातियों को उनके प्राकृतिक आवास में संरक्षण प्रदान करना स्वस्थाने सरंक्षण कहलाता है। स्व स्थाने संरक्षण के अंतर्गत निम्न विधियां हैं- राष्ट्रीय उद्यान,वन्यजीव अभ्यारण्य,जैव मंडल आगार,पवित्र उपवन एवं झीलेंसमुदाय एवं सरंक्षण आगार
बाह्य स्थाने संरक्षण (Ex-Situ Conservation)-
जैव विविधता संरक्षण के इस तरीके के अंतर्गत संकटापन्न जन्तु व पादप प्रजातियों को उनके प्राकृतिक आवास से हटाकर एक अन्य व्यवस्था में ले जाया जाता है जहाँ उनको पूरी सुरक्षा व संरक्षण प्रदान किया जाता है। इसके अंतर्गत निम्न विधियां शामिल हैं- चिड़ियाघर,वनस्पति उद्यान,जीन बैंक,बीज बैंक,निम्नतापीय संरक्षण