जब अभिकारक और उत्प्रेरक दोनों की भौतिक अवस्था एक जैसी होती है और वे समांग मिश्रण बनाते हैं, तो इसे समांगी उत्प्रेरण कहते हैं। उदाहरण-(1) निम्न अभिक्रिया में अभिकारक और उत्प्रेरक (NO) दोनों ही गैसीय अवस्था में हैं (सल्फ्यूरिक अम्ल बनाने
इसमें अभिकारक और उत्प्रेरक दोनों विभिन्न भौतिक अवस्था में होते हैं | EX– हैबर विधि में आयरन उत्प्रेरक की उपस्थिति में नाइट्रोजन व हाइड्रोजन के संयोग से अमोनिया का निर्माण होता है (गैस)3H2+ N2 (गैस) ⇒ 2NH3
एन्जाइमउत्प्रेरक –
“एन्जाइम उच्च आण्विक द्रव्यमान वाले नाइट्रोजन युक्त जटिल कार्बनिक यौगिक हैं जो कि पेड़-पौधों तथा जीव की जीवित कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न होते हैं। वास्तव में ये उच्च अणु द्रव्यमान वाले प्रोटीन अणु हैं जो जल में कोलॉइडी बनाते हैं। ये बहुत प्रभावी उत्प्रेरक होते हैं, जो अनेक जैव-रासायनिक अभिक्रियाओं एवं कई रासायनिक अभिक्रियाओं में उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।” उदाहरण-(1) टायलिन एन्जाइम मनुष्य के मुँह की लार में रहता है जो स्टार्च को ग्लूकोस में बदल देता है। (2) यीस्ट में उपस्थित एन्जाइम इनवर्टेस और जाइमेस गन्ने की शक्कर को एथिल ऐल्कोहॉल में बदल देते हैं। (3) यूरिएस एन्जाइम यूरिया को अमोनियम कार्बोनेट में बदल देता है। 4..माल्टेस उत्प्रेरक की उपस्थिति में माल्टोस ग्लकोस में परिवर्तित हो जाता है। 5..डायस्टेस एन्जाइम की उपस्थिति में स्टार्च के जल-अपघटन से माल्टोस बनता है। (6) आमाशय में पेप्सिन एन्जाइम प्रोटीनों को पेप्टाइडों में परिवर्तित करता है। आंत में अग्नाशय ट्रिप्सिन प्रोटीनों को जल- अपघटन द्वारा ऐमीनो अम्लों में परिवर्तित करता है। (7) दूध का दही में परिवर्तन- यह एक एन्जाइमिक अभिक्रिया है जो कि दही में उपस्थित लैक्टोबैसिलस एन्जाइम द्वारा होती है।
(i) इनका अणु भार उच्च होता है, (ii) एन्जाइम रासायनिक अभिक्रिया के पश्चात नष्ट हो जाते हैं जबकि साधारण उत्प्रेरक नष्ट नहीं होते। (ii) एन्जाइम उत्प्रेरक अल्ट्रावायलेट किरणों द्वारा नष्ट हो जाते हैं जबकि सामान्य उत्प्रेरक नष्ट नहीं होते। (iv) एन्जाइम अत्यन्त विशिष्ट होते हैं अर्थात् एक एन्जाइम एक और केवल एक रासायनिक क्रिया को ही उत्प्रेरित कर सकता है।
एन्जाइमउत्प्रेरणकेअभिलक्षण–
(i) सर्वोत्तमदक्षता (Efficiency)- एन्जाइम का एक अणु अभिक्रियक के दस लाख अणुओं को प्रति मिनट उत्पाद में परिवर्तन कर सकता है। (2) उच्चविशिष्टप्रकृति– प्रत्येक एन्जाइम की किसी एक अभिक्रिया के लिए विशिष्टता होती है अर्थात् एक एन्जाइम एक से अधिक अभिक्रियाओं को उत्प्रेरित नहीं कर सकता है। (3)इष्टतमताप (Optimum Temperature)- एन्जाइम उत्प्रेरित अभिक्रिया की दर किसी एक निश्चित ताप पर जिसे इष्टतम ताप कहते हैं I
कलिलप्रावस्था [COLLOIDAL PHASE]
थॉमस ग्राहा (Thomas Grahan, 1861) ने विसरण सम्बन्धी प्रयोगों के आधार पर जल में विलेय पदार्थों को इनके जलीय विलयन का चर्मपत्र झिल्ली में से विसरित होने की क्षमता के आधार पर दो वर्गों में विभाजित किया हैं –
क्रिस्टलाभ (Crystalloids)-
इनके जलीय विलयन पार्चमेण्ट झिल्ली या किसी वनस्पति या जैविक झिल्ली में से होकर शीघ्रता से विसरित (diffuse) हो जाते हैं। ये क्रिस्टलीय अवस्था में सुगमता से प्राप्त होते हैं। उदाहरण – नमक, चीनी आदि।
2. कोलॉइड –
इनके जलीय विलयन पार्चमेण्ट झिल्ली या जैविक झिल्ली में से होकर विसरित (difical नहीं होते हैं या बहुत मन्द गति से विसरित होते हैं, जैसे-स्टार्च, गोंद, जिलेटिन, ऐल्ब्यूमिन। इनकी गोंद जैसी प्रकृति होने के कारण इनको कोलॉइड कहा गया। यह अवस्था विलेय पदार्थ के कणों के आकार पर निर्भर करती है अत: कोलॉइड एकविषमांगीतन्त्र होता है जिसमें एक पदार्थ बहुत बारीक (10-7 सेमी से 10-5 सेमी) कणों के रूप में एक-दूसरे पदार्थ में परिक्षेपित रहता है जिसे परिक्षेपण माध्यम कहते हैं। ( Greek, Kola – Glue और ciods = like गोंद ‘जैसा।)
Akash Sahu: Hello! My name is Akash Sahu. My website provides valuable information for students. I have completed my graduation in Pharmacy and have been teaching for over 5 years now.