June 2021

रासायनिक साम्यावस्था

रासायनिक साम्य

रासायनिक साम्य  रासायनिक साम्य , जिसमें समय के साथ अभिकारकों एवं उत्पादों के सांद्रण में कोई परिवर्तन नहीं होता है | रासायनिक साम्य कहलाता है जब अग्र क्रिया  की गति पश्चक्रिया  की गति के समान हो जाती है, तो साम्य स्थापित  हो जाता है | रासायनिक अभिकिया के प्रकार- उत्क्रमणीय अभिकिया अनुत्कमणीय अभिकिया वह अभिकिया जो …

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विलेयता | वाष्प दाब | हेनरी का नियम |

विलेयता– (1) ठोसो की द्रवों में विलेयता किसी पदार्थ की विलेयता ग्राम में ठोस की वह अधिकतम मात्रा होती है जिसे विशेष तापमान पर संतप्त विलयन बनाने के लिए 100 ग्राम दल (विलायक) में घोला जा सकता है। द्रवों में ठोस की विलेयता को प्रभावित करने वाले कारक: विलेय और विलायक की प्रकतिः ठोस की …

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ठोसों में दोष | रससमीकरणमितीय दोष | शॉट्की दोष | फ्रेन्कल दोष

ठोसों में दोष ऐसे अनेकों क्रिस्टल हैं जो घटक कणों की व्यवस्था में परिपूर्णता की अनुपस्थिति को दर्शाते हैं उनको दोष या अपरिपूर्णतायें कहते हैं। कभी-कभी इन दोषों को ऊष्मागातिकी दोष भी कहते हैं। क्योंकि यह दोष वस्तु के ताप पर निर्भर करते हैं। क्रिस्टलों में कुछ अन्य दोष भी पाये जाते हैं जो कि …

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विद्युत चुम्बकीय तरंगें

मिलिकन  का तेल बूंद परीक्षण – मिलिकन  ने तेल बूंद  विधि द्वारा इलेक्ट्रॉन पर उपस्थित ऋण आवेश का मान ज्ञात किया। प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर 1.602 x 10-19 कूलॉम का आवेश होता है तथा इसका द्रव्यमान 9.109 x 10-28 ग्राम होता है, जो कि हाइड्रोजन के परमाणु भार का  1/1837 वाँ भाग होता है। इलेक्ट्रॉन, द्रव्य …

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समस्थानिक और समभारिक | समइलेक्ट्रॉनिक | sambharik | samasthanik

समस्थानिक  खोज – ASTON एक ही तत्व के वे परमाणु जिनके द्रव्यमान अंक भिन्न होते हैं समस्थानिक कहलाते हैं। तत्व के परमाणु को उसके परमाणु समस्थानिक क्रमांक से जाना जाता है। अतः किसी तत्व के समान परमाणु क्रमांक व भिन्न द्रव्यमान अंक रखने वाले परमाणु होते है | उदाहरण के लिए हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक …

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कक्षको की आकृति

कोश या कक्षा –   नाभिक के चारो ओर अनेक वृत्ताकार कक्षाएं होती हैं जिनमें इलेक्ट्रॉन चक्कर लगाते हैं इनको कोश या कक्षाओं के नाम से जाना जाता है कोश, इलेक्ट्रॉन की वृत्ताकर गति को प्रदर्शित करता है | कक्षा की खोज बोर द्वारा की गई | किसी इलेक्ट्रॉन को उसको मुख्य क्वांटम संख्या n …

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उप-सहसंयोजक बंध

उप-सहसंयोजक बंध दो परमाणुओं के मध्य बनने वाला वह बन्ध जो एक ही परमाणु द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म के साझे से बनता है,उप-सहसंयोजक बन्ध कहलाता है। साझे के लिए इलेक्ट्रॉन देने वाला परमाणु दाता (donor) व बिना इलेक्ट्रॉन दिये साझा करने वाला परमाणु ग्राही (acceptor) कहलाता है। दाता परमाणु द्वारा दिये गये इलेक्ट्रॉन युग्म …

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बोर्न हेबर चक्र best notes

बोर्न हेबर चक्र – बन्ध लम्बाई (Bond Length) बन्ध की बन्ध लम्बाई बन्ध बनाने वाले परमाणुओं के नाभिकों के मध्य की दूरी होती है। इसे सामान्यतः एंगस्ट्रॉम (Angstrom) इकाई में व्यक्त करते हैं। बन्ध लम्बाई निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करती है- (i) परमाणु आकार (Atomic Size)-परमाणु आकार बड़ा होने पर बन्ध बनाने वाले परमाणुओं के …

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रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल

परमाणु मॉडल थॉमसन का परमाणु मॉडल तथा उनकी सीमायें- थॉमसन का परमाणु मॉडल इलेक्ट्रॉन एवं धन किरणों की खोज के पश्चात् परमाणु मॉडल की परिकल्पना सर्वप्रथम थॉमसन ने की थी। थॉमसन के अनुसार, परमाणु धनावेश से निर्मित एक गोलाकार (spherical) संरचना है जिसमें उस पर उपस्थित धनावेश के बराबर इलेक्ट्रॉन अन्तःस्थापित अथवा वितरित  रहते हैं …

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परमाणु संरचना- इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन न्यूट्रॉन की खोज

  ऐनोड की खोज- गोल्डस्टीन ने सन् 1886 में विसर्जन नलिका में छिद्र युक्त कैथोड का प्रयोग कर यह दिखाया कि नलिका में एक-दूसरे प्रकार की किरणें भी उपस्थित रहती हैं जो कैथोड के छेदों से पार निकल जाती हैं और धन आवेश युक्त होती हैं। ये किरणें ऐनोड से कैथोड की ओर चलती हैं। …

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