उत्तर- नर में एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर पाये जाते हैं जो कि स्क्रॉटम में बंद होते हैं। सामान्यत हमारे शरीर का तापमान 37 से 38 डिग्री के बीच में होता है और शुक्राणु निर्माण के लिये शरीर के सामान्य तापमान से कम तापमान की जरुरत होती है, नहीं तो स्पर्मेटोजेनेसिस द्वारा शुक्राणु के बनने की क्रिया पूर्ण नहीं हो पायेगी। इसी कारण से मनुष्य के वृषण उदर गुहा के बाहर स्थित होते हैं।
चिकित्सकीय गर्भ समापन नियम 1971 अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए बनाया गया है यह कानून कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भपात करने की इजाजत देता है
चिकित्सकीय गर्भ समापन नियम 1971 के अनुसार सरकार ने आर्थिक, सामाजिक एवं मानवीय दृष्टिकोण से चिकित्सकीय गर्भ समापन को कल्याणकारी कदम माना है और सन 1971 में चिकित्सकीय गर्भ समापन कानून लागु किया। वर्ष 2002 में इस नियम में कुछ संशोधन किये गए इस नियम के अंतर्गत महिलाये कुछ विशेष परिस्थितियों में सरकार द्वारा अधिकृत चिकित्सा केन्द्र या सरकारी अस्पताल में प्रशिक्षित डॉक्टर द्वारा गर्भपात करा सकती है, इसके लिए लड़की द्वारा लिखित स्वीकृति एवंम लड़की की उम्र 18 वर्ष या इससे ज्यादा होना जरुरी है।
जब कुछ पौधों में लैंगिक प्रजनन की क्रिया नहीं होती है, अत: लैंगिक अनिषेच्यता के गुण को धारण करने वाले पौधों में सामान्य प्रजनन विधियों द्वारा संकर पौधों को उत्पन्न करना नामुमकिन होता है। असामान्य या असंवर्धित पौधों के संकर पौधे भी सामान्य विधियों द्वारा विकसित नहीं हो पाते हैं। तब ऐसी स्थितियों में कायिक संकरण विधि का उपयोग संकर पौधों के निर्माण के लिए किया जाता है।
ऊतक संवर्धन की वह प्रक्रिया जिसमें संकर पौधों के निर्माण हेतु दो अलग-अलग पौधों की स्वतन्त्र कोशिकाओं को संयुग्मित कराकर द्विगुणित कायिक प्रोटोप्लास्ट वाली कोशिका प्राप्त की जाती हो तथा उससे नये द्विगुणित (Diploid) संकर पौधों को विकसित किया जाता हो तो उसे कायिक संकरण कहते हैं। 1909 में सबसे पहले कूस्टर ने, संकर पादप उत्पादन द्वारा कायिक संकरण के बारे में जानकारी दी। उसके बाद 1937 में मिशेल ने सोडियम नाइट्रेट के उपचार द्वारा प्रोटोप्लास्ट संगलन की प्रक्रिया को समझाया।
कायिक संकरण क्रिया के चरण –
1. जीवद्रव्यों का पृथक्करण,
2. पृथक्कृत जीवद्रव्यों का संयुजन,
3. संकर जीवद्रव्य की पहचान एवं चयन,
4. संकर कोशिका का पोषक माध्यम पर संवर्धन,
5. सम्पूर्ण पादप पुनर्जनन,
उदाहरण- पोमेटो । यानी एक ही पौधे से टमाटर और आलू दोनों प्राप्त किये जा सकते हैं।
स्पिरुलिना मुख्यत झीलों और प्रकृति झरनों में पाया जाता है इस कारण से इसे जलीय वनस्पति भी कहा जाता है. स्पाइरुलिना का उपयोग बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है जैसे: एलर्जी से लड़ना, रक्तचाप कम करने में, कोलेस्ट्रॉल कम करने में, लिवर की बीमारी से लड़ती है,रक्त शर्करा के स्तर को कम करती है और कोलेस्ट्रॉल को कम करती है, साइनस के मुद्दों को कम करती है, और वजन घटाने का समर्थन करती है। कैंसर का खतरा कम करती है।
यह गहरे नीले-हरे रंग के साथ साथ कुंडली के आकार का शैवाल होता है इसमें आश्चर्यजनक रूप से सभी खाद्य पदार्थों से ज्यादा पोषक तत्व पाए जाते हैं इनका मनुष्यों और अन्य जानवरों द्वारा सेवन किया जा सकता है कम लागत में अधिक फायदा देने के कारन इसका आर्थिक महत्त्व बहुत ज्यादा है | बाज़ार में स्पिनरूलिना कैप्सूल या पाउडर के रूप में आसानी से उपलब्ध हो जाता है. स्पिनरूलिना के एक चम्मच (7 ग्राम) में 4 ग्राम प्रोटीन, विटामिन बी1, विटामिन बी2, विटामिन बी3, कॉपर, और आयरन होते है।
सूखे स्पाइरुलिना में 5% पानी, 8% वसा, 24% कार्बोहाइड्रेट, और लगभग 60% (51-71%) प्रोटीन होता है। यह एक संपूर्ण प्रोटीन स्रोत है, जिसमें आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं। स्पाइरुलिना की 100 ग्राम मात्रा 290 कैलोरी की आपूर्ति करती है और कई आवश्यक पोषक तत्वों, विशेष रूप से विटामिन है।
जैविक आवर्धन से तात्पर्य विषैले एवं हानिकारक रसायनों का खाद्य श्रृंखला में प्रवेश होना एवं पोषीय स्तर के साथ बढ़ते जाना तथा उच्च खाद्य जीवों में स्थापित होना है। दूसरे शब्दों में कहे तो विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनके हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। इसका प्रमुख कारण ऑर्गेनो-क्लोराइड है जो डीडीटी कीटनाशक में पाया जाता है। ये रसायन हमारे शरीर में प्रवेश निम्न विधियों द्वारा करते है हम कीटनाशक, पीडकनाशक आदि रसायनों का छिडकाव फसलो को रोगों से बचाने के लिए करते है इन रसायनों का कुछ भाग पोधो की जड़ों द्वारा खनिजों के साथ ग्रहण कर लिया जाता है और मनुष्य द्वारा इनका सेवन करने से वे रसायन हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं तथा पौधों के लगातार सेवन से उनकी सांद्रता बढ़ती जाती है जिसके परिणामस्वरूप जैव आवर्धन का विस्तार होता है।
उत्तर- नर में एक जोड़ी वृषण उदर गुहा के बाहर पाये जाते हैं जो कि स्क्रॉटम में बंद होते हैं। सामान्यत हमारे शरीर का तापमान 37 से 38 डिग्री के बीच में होता है (very short answer)
चिकित्सकीय गर्भ समापन नियम 1971 अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाने के लिए बनाया गया है यह कानून कुछ विशेष परिस्थितियों में गर्भपात करने की इजाजत देता है (very short answer)
असामान्य या असंवर्धित पौधों के संकर पौधे भी सामान्य विधियों द्वारा विकसित नहीं हो पाते हैं। तब ऐसी स्थितियों में कायिक संकरण विधि का उपयोग संकर पौधों के निर्माण के लिए किया जाता है। (very short answer)
स्पिरुलिना मुख्यत झीलों और प्रकृति झरनों में पाया जाता है इस कारण से इसे जलीय वनस्पति भी कहा जाता है. स्पाइरुलिना का उपयोग बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ के लिए किया जाता है (very short answer)
विभिन्न साधनों द्वारा हानिप्रद रसायनों का हमारी आहार श्रृंखला में प्रवेश करना तथा उनके हमारे शरीर में सांद्रित होने की प्रक्रिया को जैव आवर्धन कहते हैं। (very short answer)
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